Birsa Munda loan yojana

मध्य प्रदेश सरकार ने उद्यम क्रांति योजना (Udyam Kranti Yojana) के तहत बिरसा मुंडा लोन योजना (Birsa Munda loan yojana )शुरू की है। यह योजना विशेष रूप से अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग के युवाओं और स्वरोजगार के इच्छुक व्यक्तियों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए बनाई गई है। इसका उद्देश्य युवाओं को व्यवसाय शुरू करने या उसे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना है।

मुख्य बिंदु:

  1. लोन की राशि:
    • ₹50,000 से ₹50 लाख तक का लोन उपलब्ध है।
  2. अनुदान/सबसिडी:
    • ब्याज दर पर सरकार द्वारा सब्सिडी प्रदान की जाती है, जो अलग-अलग योजनाओं और वर्गों के आधार पर हो सकती है।
  3. लाभार्थी पात्रता:
    • आवेदक मध्य प्रदेश का निवासी हो।
    • अनुसूचित जनजाति वर्ग से संबंधित हो।
    • आयु सीमा: 18 से 45 वर्ष।
    • आवेदक का पहले से कोई डिफॉल्ट रिकॉर्ड नहीं होना चाहिए।
  4. लोन के उद्देश्य:
    • नया व्यवसाय शुरू करना।
    • व्यवसाय का विस्तार करना।
    • उद्यमिता को बढ़ावा देना।
  5. आवेदन प्रक्रिया:
  6. आवश्यक दस्तावेज़:
    • आधार कार्ड।
    • जाति प्रमाण पत्र।
    • निवास प्रमाण पत्र।
    • व्यवसाय योजना (Business Plan)।
    • बैंक पासबुक की कॉपी।

यह Birsa Munda loan yojana बिरसा मुंडा के नाम पर जनजातीय समुदाय को आर्थिक सशक्तिकरण के लिए समर्पित है। अधिक जानकारी के लिए आप स्थानीय जिला उद्योग केंद्र (DIC) या संबंधित बैंक शाखा से संपर्क कर सकते हैं।

बिरसा मुंडा (1875-1900) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नायक और आदिवासी समाज के प्रेरणास्रोत थे। उनका जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड के उलिहातु गांव में एक मुंडा जनजाति परिवार में हुआ था। बिरसा मुंडा ने अपने छोटे से जीवनकाल में आदिवासियों के अधिकारों, उनकी जमीन और संस्कृति को बचाने के लिए कई आंदोलन किए।

बिरसा मुंडा के प्रमुख योगदान:

  1. आदिवासी जागरूकता:
    • उन्होंने आदिवासी समाज को संगठित किया और उन्हें अंग्रेजों के शोषण, जबरन लगान, और जमींदारी प्रथा के खिलाफ खड़ा किया।
    • उन्होंने आदिवासियों को अपनी संस्कृति और परंपराओं को बचाने की प्रेरणा दी।
  2. उलगुलान आंदोलन (विद्रोह):
    • बिरसा मुंडा ने 1899-1900 में उलगुलान (महाविद्रोह) का नेतृत्व किया। यह आंदोलन आदिवासियों की जमीन पर अंग्रेजों और जमींदारों के कब्जे के खिलाफ था।
    • इस आंदोलन ने अंग्रेजों को आदिवासी क्षेत्रों में अपनी नीतियां बदलने पर मजबूर किया।
  3. धार्मिक और सामाजिक सुधार:
    • बिरसा ने अपने अनुयायियों को अंधविश्वास और नशाखोरी से दूर रहने का संदेश दिया।
    • उन्होंने “बिरसाइत” नामक एक नया धर्म शुरू किया, जिसमें ईश्वर की पूजा, सादा जीवन, और समाज की भलाई पर जोर दिया गया।
  4. शहीद का दर्जा:
    • अंग्रेजों ने बिरसा मुंडा को गिरफ्तार कर लिया और 9 जून 1900 को जेल में उनकी मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु का कारण आज भी संदिग्ध है।

सम्मान और विरासत:

  • बिरसा मुंडा को “भगवान बिरसा” के रूप में आदिवासी समाज में पूजा जाता है।
  • उनके योगदान को सम्मान देने के लिए 15 नवंबर को झारखंड स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है।
  • उनके नाम पर कई संस्थान, पार्क और योजनाएं चल रही हैं, जैसे बिरसा मुंडा हवाई अड्डा (रांची) और बिरसा मुंडा विश्वविद्यालय

बिरसा मुंडा ने अपने छोटे से जीवन में समाज में बड़ा बदलाव लाया और आदिवासी समुदाय के लिए प्रेरणा का स्रोत बने।